Alal Pakshi
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हो चुका है।
इसके चार पैर होते थे। आगे वाले छोटे और पीछे वाले बड़े। इसका
अनल पक्षी (अलल पक्षी) ऊपर वायु में रहता था। वहीं से मादा अनल अण्डे
उत्पन्न कर देती थी। वह #अण्डे उस स्थान पर ₹छोड़ती थी जहाँ केले का वन होता
था। केले एक-दूसरे में #फँसकर गहरा वन बना लेते थे। हाथियों का झुण्ड (समूह)
यानि सैंकड़ों हाथी भी #केले के वन में रहते थे क्योंकि हाथी केले के पेड़ खा जाता
अण्डा वायुमंडल से गुजरकर नीचे पृथ्वी तक आने में हवा के घर्षण से पककर बच्चा
सघनता के कारण वह अण्डा #क्षतिग्रस्त नहीं होता था। केवल इतनी गति से केले
के पेड़ों को तोड़कर पृथ्वी पर गिरता था कि अण्डा फूट जाए। अण्डे का आकार
लिए अण्डे के कवर तथा बच्चे के बीच में गद्देदार पदार्थ होता था जो पृथ्वी के ऊपर
गिरते समय बच्चे को #चोट लगने से बचाता था। अनल पक्षी का बच्चा पृथ्वी पर
अंतरआत्मा यह मानती थी कि यह मेरा घर-परिवार नहीं है, मेरा परिवार तो ऊपर
हो जाता है तो हाथियों के #झुण्ड पर झपट्टा मारता था। चार हाथियों को चारों पंजों से उठाता था तथा एक हाथी को चौंच से पकड़कर उड़ जाता था। अपने परिवार
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